Rekha Lodha Smit
Saturday 7 March 2015
मेरी जिजीविषा के चन्द शब्द
मै
दूब हूँ
मुझे रौंद दे
पाँवो तले
गर दुनिया वाले
तो क्या
मै
बारिश की
फुहारें गिरते ही
फिर उग आऊँगी ।
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